नमस्कार दोस्तों ,
मैं Vijay Aggarwal
मैं कोई कवि नहीं जो चाँद तारो के पार जाकर शब्दों को खींच लाता है , ओर न ही मैं कोई शायर हूँ जो किसी गम में पेश होकर कुछ कहता है तो वो बात शायरी बन कर निकलती है॥
और....
ऐसा भी नहीं कभी किसी को चाहा नहीं मैंने ...
अवि रुसवा न हो जाएँ यही सोच कर मोहब्बत छोड़ दी मैंने।
एक मीठा सा दर्द रह गया बस बाकी और कुच्छ गिला न रहा
पर ऐसा भी नहीं की उनसे शिकायत छोड़ दी मैंने
...
मेरा ये ब्लॉग चंद पंक्तियाँ समेटे हुए है ..जिसकी स्याही कभी दिल देता है और कभी हालात ...
मैं Vijay Aggarwal
मैं कोई कवि नहीं जो चाँद तारो के पार जाकर शब्दों को खींच लाता है , ओर न ही मैं कोई शायर हूँ जो किसी गम में पेश होकर कुछ कहता है तो वो बात शायरी बन कर निकलती है॥
और....
ऐसा भी नहीं कभी किसी को चाहा नहीं मैंने ...
अवि रुसवा न हो जाएँ यही सोच कर मोहब्बत छोड़ दी मैंने।
एक मीठा सा दर्द रह गया बस बाकी और कुच्छ गिला न रहा
पर ऐसा भी नहीं की उनसे शिकायत छोड़ दी मैंने
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मेरा ये ब्लॉग चंद पंक्तियाँ समेटे हुए है ..जिसकी स्याही कभी दिल देता है और कभी हालात ...
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