वो आधा अधूरा सा दिन
वो सिमटी सिमटी सी रात॥
कह सकते थें तुम तभी
जो गर इतनी सी थी बात॥
हमे तो याद भी न रहता अब तक
अब तक तो ज़िन्दगी फिर चल पड़ती॥
अब तक तो नींद आ गयी होती रातों में
अब तक तो कश्ती किसी मंजिल को निकल पड़ती॥
अब वहीँ ठहर कर रह गयी है
वो दो पल की मुलाक़ात ॥
अब भी जीना है पर अब वो बात नहीं है
दौड़ना है मगर चल पाने के हालात नहीं हैं॥
कोई बात नहीं है,अब तो कोई बात नहीं कहनी,
कहने को कोई बात नहीं है॥
अब तो मुह भी छुपाना है आँखें भी छुपानी हैं
क्या दिखाऊंगा किसी को अपने प्यार भरे ज़ज्बात .........................
Beparwah..
jajbata to dikh agye rachna mein....dard bhari hai
ReplyDeletekaise ho bhaut din bad pada hai tumhara likha..