March 20, 2010

जो नजर चुरा कर चले gaye


गिर गए जो थोड़ी पी के शराब


तो लोग दीवाना कहने लगे


उनसे भी तो पूछे कोई ज़रा


जो नज़र चुरा कर चले गए..



हमने तो सुना था मैखाने को...


बस ग़ालिब -मिर्ज़ा की गजलों में


कसूर जो उनका किसको दिखे


जो राह बताकर चले गए...



आये थे वो मिलने सच कहता हूँ...


आये थे हाथों में फूल लिए॥


रखे दिए फूल फिर असलाम किया


जब उठा ज़नाजा सब रोये...


वो कंगन खनका कर चले गए......




Beparwah...

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