गिर गए जो थोड़ी पी के शराब
तो लोग दीवाना कहने लगे
उनसे भी तो पूछे कोई ज़रा
जो नज़र चुरा कर चले गए..
हमने तो सुना था मैखाने को...
बस ग़ालिब -मिर्ज़ा की गजलों में
कसूर जो उनका किसको दिखे
जो राह बताकर चले गए...
आये थे वो मिलने सच कहता हूँ...
आये थे हाथों में फूल लिए॥
रखे दिए फूल फिर असलाम किया
जब उठा ज़नाजा सब रोये...
वो कंगन खनका कर चले गए......
Beparwah...
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