कहना तो नहीं था तुमसे
पर अब चुप रह न सका..
कल एक बात कहनी थी तुमसे ...
मगर कह न सका
न जाने क्यूँ मन उदास है..
क्यूँ चुप्प-चुप्प सा हूँ आज
एक अश्क रखा थ पलकों पे ..
वो बह न सका..
कल एक बात कहनी थी तुमसे
मगर कह न सका
क्यूँ न जाने सोचता हूँ अब..
क्यूँ मुड़ गया उस मोड़ से
क्यूँ अपने dil के हालात..
क्यूँ खुद ही समझ न सका
कल एक बात कहनी थी तुमसे
मगर कह न सका
क्यूँ भागता रहा खुद से..
क्यूँ ढूंढता रहा खुद को
क्यूँ तोड़ दी हर डोर मैंने उम्मीदगी की...
क्यूँ kisi riste के धागे में उलझ न सका
कल एक बात कहनी थी तुमसे
मगर कह न सका
मगर कह न सका....
Beparwah..
पर अब चुप रह न सका..
कल एक बात कहनी थी तुमसे ...
मगर कह न सका
न जाने क्यूँ मन उदास है..
क्यूँ चुप्प-चुप्प सा हूँ आज
एक अश्क रखा थ पलकों पे ..
वो बह न सका..
कल एक बात कहनी थी तुमसे
मगर कह न सका
क्यूँ न जाने सोचता हूँ अब..
क्यूँ मुड़ गया उस मोड़ से
क्यूँ अपने dil के हालात..
क्यूँ खुद ही समझ न सका
कल एक बात कहनी थी तुमसे
मगर कह न सका
क्यूँ भागता रहा खुद से..
क्यूँ ढूंढता रहा खुद को
क्यूँ तोड़ दी हर डोर मैंने उम्मीदगी की...
क्यूँ kisi riste के धागे में उलझ न सका
कल एक बात कहनी थी तुमसे
मगर कह न सका
मगर कह न सका....
Beparwah..
No comments:
Post a Comment