March 18, 2010


कहना तो नहीं था तुमसे
पर अब चुप रह न सका..
कल एक बात कहनी थी तुमसे ...
मगर कह न सका

न जाने क्यूँ मन उदास है..
क्यूँ चुप्प-चुप्प सा हूँ आज
एक अश्क रखा थ पलकों पे ..
वो बह न सका..

कल एक बात कहनी थी तुमसे
मगर कह न सका

क्यूँ न जाने सोचता हूँ अब..
क्यूँ मुड़ गया उस मोड़ से
क्यूँ अपने dil के हालात..
क्यूँ खुद ही समझ न सका

कल एक बात कहनी थी तुमसे
मगर कह न सका

क्यूँ भागता रहा खुद से..
क्यूँ ढूंढता रहा खुद को
क्यूँ तोड़ दी हर डोर मैंने उम्मीदगी की...
क्यूँ kisi riste के धागे में उलझ न सका

कल एक बात कहनी थी तुमसे
मगर कह न सका
मगर कह न सका....

Beparwah..

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