March 18, 2010

cheers with broken heart...


आज फिर महफ़िल सजी है मेरी तन्हाइयों की...
आज फिर तेरे नाम से पैमाना मशहूर हुआ है
आज फिर न जाने क्यूँ तेरी याद आ रही है..
आज फिर न जाने क्यूँ ये जाम नासूर हुआ है..
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लौट आओ तुम की यूँ अब जिया नहीं जाता
ये जाम जलाता है अब पिया नहीं जाता

ये फानूस न गिर जाए कहीं डर लगता है
ये शराब न बिखर जाए कहीं डर लगता है
न टूट जाए मेरा दिल कहीं पैमाने की तरह
ये होश न संभल जाए कहीं डर लगता है
की अब तो मुझे होश भी नहीं आता..

लौट आओ तुम की अब यूँ जिया नहीं जाता
ये जाम जलाता है अब पिया नहीं जाता

साकी से यारी झूठी निकली
ये सारी दुनियादारी झूठी निकली
fir मय को दोस्त बनाया मैंने
पर दो पल की खुमारी झूठी निकली
ये झूठ का जाम अब पिया नहीं जाता...


लौट आओ तुम की यूँ अब जिया नहीं जाता
ये जाम जलाता है अब पिया नहीं जाता

शराब है रगों में
आँखों में शराब है
सांसें नशीली हैं
बातों में शराब है
होश रहे भी तो कैसे मुझको
मेरे ज़ज्बातों में शराब है
जुड़ गया है किसी हमसफ़र जैसा नाता....


लौट आओ तुम की अब यूँ जिया नहीं जाता
ये जाम जलाता है अब पिया नहीं जाता

जब जाम लगाता हूँ लबों से
तो तेरी हंसी याद आती है
जब आँखों में खुमारी आती है
कोई पर्दानशीं याद आती है
जब भूल जाता हूँ सब कुछ नशे में
तो बस...मयकशी याद आती है
अब तो बिन पिए कुछ याद भी नहीं आता....

लौट आओ तुम की यूँ अब जिया नहीं जाता
ये जाम जलाता है अब पिया नहीं जाता

हर दिल हर पल मैखाने में
मैं तो जिया हूँ मैखाने में
कहते हैं छोटा जाम मगर
मैं तो डूब गया पैमाने में
ये जाम नहीं है सागर है.......
पर कहीं साहिल क्यूँ नहीं आता...


लौट आओ तुम की यूँ अब जिया नहीं जाता
ये जाम जलाता है अब पिया नहीं जाता

मौसम की अदा शबाब सी लगी
जब बारिश की बूँदें शराब सी लगी
जब थमा दौर तो आइना देखा मैंने
अपनी सूरत भी हमे आप जनाब सी लगी
ये जादूभरा मौसम फिर क्यूँ नहीं आता...

लौट आओ तुम की यूँ अब जिया नहीं जाता
ये जाम जलाता है अब पिया नहीं जाता


मैंने जिस रोज़ तेरे हाथों पे गुलाब रक्खा था
और तुमने मेरे होठों पे अपना शबाब रक्खा था
इतना झूमा था मैं नशे में उस रोज़ क्या कहूँ..
मैंने तो तेरे हुस्न का नाम शराब रक्खा था
की इस पानी सी शराब में, जीने का मज़ा नहीं आता...

लौट आओ तुम की यूँ अब जिया नहीं जाता
ये जाम जलाता है अब पिया नहीं जाता


mehfil जब जामों का दौर चलाती है
मेरी मुश्किलें तब और भी बढ़ जाती हैं
जी करता है तोड़ दूँ पैमाना..मगर
याद फिर आता है, ये कई दिलजलों का साथी है
मैं नकारा खुद ही टूट क्यूँ नहीं जाता...

लौट आओ तुम की यूँ अब जिया नहीं जाता
ये जाम जलाता है अब पिया नहीं जाता


शमा जलती है तो शराब पीता हूँ
जब पिघलती है तो शराब पीता हूँ
चांदनी को मिलाता हूँ रात भर शराब में
जब रात ढलती है तो शराब पीता हूँ
शराब..शराब..शराब..शराब..और शराब
ये जाम क्यूँ बन गया है मेरा भाग्यविधाता...


लौट आओ तुम की यूँ अब जिया नहीं जाता
ये जाम जलाता है अब पिया नहीं जाता

milte हैं बैठते हैं महफ़िल सजाते हैं
ये दुनिया वाले न जाने क्यूँ मैखाने बनाते हैं
देते हैं बद दुआ फिर दिलजले मयकशों को
और खुद को मोहब्बत का मशीहा बताते हैं
क्या मुझमे दिल नहीं मैं भी तो शराबी हूँ
क्या मयकशी में मोहब्बत का मज़ा नहीं आता...

लौट औ तुम की यूँ अब जिया नहीं जाता
ये जाम जलाता है अब पिया नहीं जाता


आदत हो चुकी है मेरी मयखाने को
पहचान हो चुकी है मेरी पैमाने को
जब भी जाता हूँ साकी का सलाम मिलता है
और दुल्हन सा सजा के रखते हैं शराबखाने को
ये मंडप नहीं है...ये मेरा जनाज़ा है
पर आशिकों को मैखाने में दफ़न तो नहीं किया जाता...

लौट आओ तुम की यूँ अब जिया नहीं जाता
ये जाम जलाता है अब पिया नहीं जाता


जब कोई मयकश अपनी दिलरुबा का नाम लेता है
मेरा दिल दौड़ कर अपनी यादों को थाम लेता है
हर दिलजला खुदा मेरा....मैं दिलजलों का खुदा
हर मय के जले को बंद सलाम देता है
की मैखाने में दिल जलाने कोई ख़ुशी से तो नहीं आता....


लौट आओ तुम की यूँ अब जिया नहीं जाता
ये जाम जलाता है अब पिया नहीं जाता




Beparwah..

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