June 23, 2011

Tujhko Bhulaane ki jo kee maine.. Himmat kya kahuN...

Ye din bhi Bekhna tha...meri Kismat ..kya kahuN

Ghum-o-Ashq,Hasrat-e-Deedaar aur Aarzoo-e-Sharaab...

Deewaano si ho Gayi hai meri ..Haalat, kya kahuN

Kamjor dil tha, Seh na paaya ...ai Husn aapki waffa...

Ek baar mein Udhel di itni...Rehmat, kya kahuN

Jee raha hun Main abhi tak...Ye bhi kya kam hai...

Aapki Duwaaon ki...ab Keemat, kya kahuN

Aapke rukh pe Maasoomiyatl ki Raanaaiyan haiN dost...

Ek aur bhi thi Aapse ...Shikaayat, kya kahuN

Mujhe Ishq-e-junoo ki Kitaab pe... 'BEPARWAH' likhna tha..

Kuchh aur bhi thi dil mein mere..Hasrat, kya kahuN..

Vijay Aggarwal 'Beparwah'

Dua maangta hu...

Azaa'n maangta hu..

Dua maangta hu..

Ki main ho jaau tujhpe..

Fanaa maangta hu..

Tere saath apna..

Kaarwaa'n maangta hu..

Apni chowkhat pe tere..

Nisaa'n maangta hu.

Tujhko paane ka rab se..

Gumaa'n maangta hu..

Tere haatho mein apni..

Hina maangta hu.

Nahi koi jannat ki..

Aarzoo hai is dil mein..

Main saaye se tere ..

Panaa'h maangta hu.

Nahi shoukh mujhko..

Kudrat ki rangeeniyo ka..

Khizaa'n hi bakhs de..

Gar main khizaa'n maagta hu

De de sitamgar chupp ka..

Tu chilman mujhe ab..

Main tujhse tumhari..

Haya maangta hu

Maine kab kaha ki..

Main sab maangta hu..

Teri saanso'n ki bas main..

HAWA* maangta hu..!!

Vijay Aggarwal 'Beparwah'

Usko bhi tadpaaya kisi ne...

चाहत की महफ़िल में बुलाया है किसी ने
खुद बुलाकर फिर सताया है किसी ने

जब तक जलती है शमा, जलता रहा परवाना
क्या इस तरह साथ निभाया है किसीने


अरमान हमारे टूट कर बिखर से गए है
यूँ कल आंखोसे गिराया है किसी ने


आग लगी है दश्त में कोई क्या बुझायेगा
दिल इस तरह से आज जलाया है किसी ने


दिल रोता रहा रात भर याद कर के किसी को
इस तरह उल्फत में जख्म खाया है किसी ने


संगदिल जो था आज वो भी रो पड़ा
उसको भी तड़पाया है किसी ने................

Vijay Aggarwal 'Beparwah'

Vijay tum bade sawalaat poochhte ho..

Hizr ki baat poochhte ho..
Kaise kati raat poochhte ho.
Khud bhi to diwaane ho tum..
Aur diwaane se uski jaat poochte ho.

Filhaal ki malaal kar rahe ho...
Kaise kaise sawaal kar rahe ho.
Haal udhar ka to dekh hi rahe ho
tum...
Aur idhar ke haalaat poochhte ho..

Sunte kiski ho jo tum suna rahe ho..
Bewkoof kisko aakhir bana rahe ho.
Saath koodte ho maut ke kuemein....
Aur kaise jeeta hu ye karaamaat poochhte ho.

Gardish buland hai to keh dete ho..
Haalat agar tangg ho to keh dete ho.
Keh dete ho sab haal apna aur fir kehte ho...
'VIJAY' Tum kaise kaise sawaalaatpoochhte ho???

Vijay Aggarwal 'Beparwah'

Because of U

For all those time You stood by me,

For all the truth that You made me,

For all the joy You brought to my life,

For all the wrong that You made right.

For all the dreams..You made come true

For all the love I've found in You

I'll be foreever thankful

You're the One who held me up

never let me fall

You're the One who show me

through,through it all !

Yor are my strenght When i was weak,

You were my voice When I could'nt speak,

You were my eyes When i could'nt see,

You saw the best There was in me....

Lifted me up when I could'nt reach,

You gave me faith' cause You believed

I'm everything I'm.........

Because you Loved me !!

You gave me wings and made me fly

You touched my hands, I could touch the sky

I lost my faith, You gave it back to me

SAID NO STARS WAS OUT OF REACH....

You stood by me and i stood tall,

I had your love, i had it all

I'm greatful for each day You gave me

may be i don't knowthat much,

But i know This much is true.

I was blessed because I was...

LOVED BY YOU !!

You were always there for me,

The tender wind that carried me,

Light in dark, shining your

Love into my life....

You've been my inspiration,

Through the lies, You were the truth.

My world is better place...

because of YOU !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


Vijay Aggarwal 'Beparwah'


कलम बदल के खंज़र हो गयी ..

मेरी जिंदगी कुछ लम्हात और गुज़र हो गयी ..

अफ़सोस बस ये है के आपको भी खबर हो गयी !!

एक हिस्सा कल छुप गया था चाँद का आपसे ..

तो मेरी खिड़की की तरफ आपकी नज़र हो गयी !!

हलख तक न पंहुचा था निवाला अभी तो ...

और एक भूखे गरीब की आँखें तर हो गयी !!

टूटा था एक तारा ख़ास मेरी दुआ के लिए ...

वो दुआ भी खौफ -ए-हिज्र में आपके सर हो गयी !!

जहाँ आती थी सौंधी खुसबू चोमासे भर ..

नए दौर आया , मेरे आँगन की वो मिटटी पत्थर हो गयी !!

आइना तोड़ के किया एक शौख पूरा टूट जाने का ..

वहां वहां से खून ' निकला जहाँ से परछाई तितर बितर हो गयी !!

खून से लिखने लगी ज़िन्दगी के कयाम ..

कलम न जाने कैसे बदल के खंजर हो गयी .!!


Vijay Aggarwal 'Beparwah'

वादा फरोश दोस्त जब वादे से मुकर गए ...!!

उतरा न कोई आँख में ..तो अश्क उतर गए..

इसी तरह न जाने कितने मौसम गुज़र गए !!

बिखरे न जाने किस अदा से ख्वाब समूचे मेरे ...

टुकड़े भी न मिले ,न जाने किधर-किधर गए !!

एक दर्द जो मिला , मिला सुकूं मुझ बेदर्द को..

वादा फरोश दोस्त जब वादे से मुकर गए ...!!

लम्हा न कोई छूट जाए , जिसमे दाग न लगे ...

दामन सफ़ेद ले के हम , उनके शहर गए..!!

क़त्ल कर के मेरा ..मेरा रकीब भी रो पड़ा..

चलो ऐसे ही सही मगर अब ,हम तो गुज़र गए !!!!

विजय अग्रवाल 'बेपरवाह'

April 21, 2011

न जाने क्यों ...

जाने क्यों मुझसे वो शर्माते हैं...
निशब्द चक्छु बाण चाले हैं॥
जब देखता हूँ मैं उनकी ओर...
बस मंद-मंद मुस्काते हैं॥

नैन सांवरे , केश बाँवरे ...
कमर सुराही , वाणी मुहावरे ॥
गालों पे लाली आ जाती है...
मुझे देख नैन इठलाते हैं॥

जब देखता हूँ मैं उनकी ओर...
बस मंद-मंद मुस्काते हैं

जीवन में प्रेम रस जो मिल जाए ...
गीत मेरा भी मधुर हो जाए॥
चन्द्र मेरा तू , मैं चंद्रमुखी...
तुम्हे देख-देख हम गाते हैं॥

जब देखता हूँ मैं उनकी ओर...
बस मंद-मंद मुस्काते हैं


बेपरवाह...

January 12, 2011

bas itna sa vaada

bas itna sa vaada chahuta hun tumse....
mere bagair b tum muskurate rehna

hum jhel leinge qayamat apni hasti pe...
magar tum apna shingaar sajaate rehna


kya hua jo bujh gaye apne khwaab saare...

tum apni aankho k diye jalaate rehna


kya hua gar ishq na hua muqammal apna...
lamha-lamha mujhko bhulaate rehna

ek din bhool jaaoge mujhe b yaad karte-karte...
bas apni taqdeer ko aazmate rehna


bas itna sa vaada chahuta hun tumse....
mere bagair b tum muskurate rehna


BEPARWAH...

December 2, 2010

KAR RAHA HUN MAIN TASABBUR...

शौक-ऐ-हुस्न मैं इस क़दर रखता हूँ...
की भरे पैमाने पे टेढ़ी सी नज़र रखता हूँ
कोई जो पूछे राज मेरी खुश-तबियत का मुझसे..
बस हर वक़्त मयकशी का हल्का सा असर रखता हूँ॥

________________________________________________ कर रहा हूँ तसब्बुर जाम का॥
कर रहा हूँ मैं तसब्बुर जाम का...
मालामाल हूँ अब मैं
बन्दा बे दाम का......
कर रहा हूँ मैं तसब्बुर जाम का॥

कोई न रोके मुझे कोई न टोके मुझे...

न कोई मुझसे करे अब दिल्लगी॥

मैं तो तनहा बज़्म हूँ हर शाम का ॥

कर रहा हूँ मैं तसब्बुर जाम का...

मंदिर से रस्ता मोड़ के...

मस्जिद से नाता तोड़ के....

चूमता हूँ मैक़दा....

सारे नाते छोड़ के ॥

क्यूँ भला अब नाम लूँ मैं....

सबके अल्लाह राम का॥

कर रहा हूँ मैं तसब्बुर जाम का...

हर शौक मेरा अब यहाँ है दोस्तों...

इसमें मेरा दोष कहाँ है दोस्तों॥

तुम भी अब होश में लडखडाना छोड़ दो...

आओ महफ़िल अब जवान है दोस्तों...

क्यूँ फिकर करते हो तुम अंजाम का...

कर रहा हूँ मैं तसब्बुर जाम का...

BEPARWAH...




November 20, 2010

Ek Nazar..


एक नज़र की बात क्या कहूँ मैं आपसे...
एक नज़र की बात क्या कहूँ मैं आपसे...
वो नज़र कुछ ऐसे मेरी आँख पे लगी .........!!!
फिर क्या हुआ ये मत पूछो तुम यारों...
फिर किसी रात मेरी आँख लगी

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एक नज़र तेरी...बस एक नज़र का फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है ..
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदितों पुराना है

टूटे हौसलों की बुनियादों पे कच्ची मिटटी के रिश्ते हैं...()
इन्ही को निभाना है...यहीं घर बनाना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है

सरगम के सुर हैं नगमों की धारा है...()
इन्ही को बजाना है ...इन्हे गुनगुनाना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है


सर्द चाँद रातों में बस कुच्छ शिकवों की चादर है...()
इन्ही को ओढ़ सोना है...इन्ही को बिछाना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है

बस थोड़ी सी बूंदें हैं बाकी , आँखों में नमी की ...()
इन्ही को छुपाना है...इन्ही को पी जाना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है

एक नज़र तेरी...बस एक नज़र का फ़साना है..
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है

Beparwah...


main bujh gaya hun ..koi jala do mujhko...



तेरी आँखों में हया क्यूँ है साकी...
तेरी जुल्फ हुई है घटा क्यूँ साकी...
मुझको हुस्न दिखा कि दिलजला हूँ मैं...
बस हर शब् तू पिला ,शौक पिला, शराब पिला साकी
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मै बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको...
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको
जी लेने दो मुझको दो पल इस मैखाने में...
मुझे जिंदा कर दो..जिला दो मुझको
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको.....

इस दौर के बाद फिर ज़िन्दगी बचे...
इश्क बच जाए मगर बंदगी बचे
बच जाए एक कतरा शराब का मैखाने में...
बस इतना सा भरोसा दिला दो मुझको
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको.....
मैं बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको

आज कि शाम नगमो को इस क़दर तरसे...
कि मेरे हर लफ्ज़ से बस बेखुदी बरसे
मेरे साकी से मेरी इतनी सी गुज़ारिस है बस...
कि राख़ कर में मुझे पैमाने में मिला दे मुझको
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको...
मैं बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको
मैं बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको


Beparwah

June 10, 2010

बहुत दिनों के बाद कुच्छ लिखने का मन हुआ है . ...
पता है?? एक अरसे के बाद एक पुराना कोई दोस्त मीला है। जो शायद मुझे भूल भी चूका था ,या उसे शायद मैं याद भी था ये पता नहीं।
उसके मिलने की ख़ुशी भी है बहुत और साथ ही साथ थोडा सा ग़म भी...ग़म ये की वो मिल के भी कभी न मिल सकेगा ..काहिर कोई बात नहीं। शायद यही ज़िन्दगी है...थोडा सा ग़म और थोड़ी सी ख़ुशी। इसीलिए तो हर इंसान जीता है। ...


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कुछ लोग न जाने क्या कर देते हैं ...
बस एक नज़र देख के फ़ना कर देते हैं।
दिखा देते हैं ज़िन्दगी को नयी राहें...
और पुराने आसियाने तबाह कर देते हैं॥
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April 6, 2010


तेरी महफ़िल में किसी नूर की कमी नहीं थी ...
मेरे खातिर बस वहां थोड़ी सी ज़मीं नहीं थी

देख सकता तेरे दिल में किसी गैर कि सूरत ...
मेरी आँखों में ऐसी रोशनी नहीं थी

कह पाया हो उनसे कोई बात आँखों-आँखों में...
ऐसी कोई बात मेरे दिल में रही नहीं थी

दबा रक्खा था बोझ कितना अपनी हसरतों का मैंने...
ये कहना की ख़त में ये बात लिक्खी नहीं थी

कैसी किस्मत है की लौट आया हूँ उस मोड़ से मैं...
सामने मंजिल थी..और कोई राह बची नहीं थी


Beparwah..