November 20, 2010

Ek Nazar..


एक नज़र की बात क्या कहूँ मैं आपसे...
एक नज़र की बात क्या कहूँ मैं आपसे...
वो नज़र कुछ ऐसे मेरी आँख पे लगी .........!!!
फिर क्या हुआ ये मत पूछो तुम यारों...
फिर किसी रात मेरी आँख लगी

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एक नज़र तेरी...बस एक नज़र का फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है ..
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदितों पुराना है

टूटे हौसलों की बुनियादों पे कच्ची मिटटी के रिश्ते हैं...()
इन्ही को निभाना है...यहीं घर बनाना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है

सरगम के सुर हैं नगमों की धारा है...()
इन्ही को बजाना है ...इन्हे गुनगुनाना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है


सर्द चाँद रातों में बस कुच्छ शिकवों की चादर है...()
इन्ही को ओढ़ सोना है...इन्ही को बिछाना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है

बस थोड़ी सी बूंदें हैं बाकी , आँखों में नमी की ...()
इन्ही को छुपाना है...इन्ही को पी जाना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है

एक नज़र तेरी...बस एक नज़र का फ़साना है..
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है

Beparwah...


main bujh gaya hun ..koi jala do mujhko...



तेरी आँखों में हया क्यूँ है साकी...
तेरी जुल्फ हुई है घटा क्यूँ साकी...
मुझको हुस्न दिखा कि दिलजला हूँ मैं...
बस हर शब् तू पिला ,शौक पिला, शराब पिला साकी
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मै बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको...
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको
जी लेने दो मुझको दो पल इस मैखाने में...
मुझे जिंदा कर दो..जिला दो मुझको
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको.....

इस दौर के बाद फिर ज़िन्दगी बचे...
इश्क बच जाए मगर बंदगी बचे
बच जाए एक कतरा शराब का मैखाने में...
बस इतना सा भरोसा दिला दो मुझको
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको.....
मैं बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको

आज कि शाम नगमो को इस क़दर तरसे...
कि मेरे हर लफ्ज़ से बस बेखुदी बरसे
मेरे साकी से मेरी इतनी सी गुज़ारिस है बस...
कि राख़ कर में मुझे पैमाने में मिला दे मुझको
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको...
मैं बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको
मैं बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको


Beparwah