December 2, 2010

KAR RAHA HUN MAIN TASABBUR...

शौक-ऐ-हुस्न मैं इस क़दर रखता हूँ...
की भरे पैमाने पे टेढ़ी सी नज़र रखता हूँ
कोई जो पूछे राज मेरी खुश-तबियत का मुझसे..
बस हर वक़्त मयकशी का हल्का सा असर रखता हूँ॥

________________________________________________ कर रहा हूँ तसब्बुर जाम का॥
कर रहा हूँ मैं तसब्बुर जाम का...
मालामाल हूँ अब मैं
बन्दा बे दाम का......
कर रहा हूँ मैं तसब्बुर जाम का॥

कोई न रोके मुझे कोई न टोके मुझे...

न कोई मुझसे करे अब दिल्लगी॥

मैं तो तनहा बज़्म हूँ हर शाम का ॥

कर रहा हूँ मैं तसब्बुर जाम का...

मंदिर से रस्ता मोड़ के...

मस्जिद से नाता तोड़ के....

चूमता हूँ मैक़दा....

सारे नाते छोड़ के ॥

क्यूँ भला अब नाम लूँ मैं....

सबके अल्लाह राम का॥

कर रहा हूँ मैं तसब्बुर जाम का...

हर शौक मेरा अब यहाँ है दोस्तों...

इसमें मेरा दोष कहाँ है दोस्तों॥

तुम भी अब होश में लडखडाना छोड़ दो...

आओ महफ़िल अब जवान है दोस्तों...

क्यूँ फिकर करते हो तुम अंजाम का...

कर रहा हूँ मैं तसब्बुर जाम का...

BEPARWAH...




November 20, 2010

Ek Nazar..


एक नज़र की बात क्या कहूँ मैं आपसे...
एक नज़र की बात क्या कहूँ मैं आपसे...
वो नज़र कुछ ऐसे मेरी आँख पे लगी .........!!!
फिर क्या हुआ ये मत पूछो तुम यारों...
फिर किसी रात मेरी आँख लगी

________________________________


एक नज़र तेरी...बस एक नज़र का फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है ..
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदितों पुराना है

टूटे हौसलों की बुनियादों पे कच्ची मिटटी के रिश्ते हैं...()
इन्ही को निभाना है...यहीं घर बनाना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है

सरगम के सुर हैं नगमों की धारा है...()
इन्ही को बजाना है ...इन्हे गुनगुनाना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है


सर्द चाँद रातों में बस कुच्छ शिकवों की चादर है...()
इन्ही को ओढ़ सोना है...इन्ही को बिछाना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है

बस थोड़ी सी बूंदें हैं बाकी , आँखों में नमी की ...()
इन्ही को छुपाना है...इन्ही को पी जाना है
तेरी बस एक नज़र का ये फ़साना है...
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है

एक नज़र तेरी...बस एक नज़र का फ़साना है..
मुहब्बत का ये किस्सा तो सदियों पुराना है

Beparwah...


main bujh gaya hun ..koi jala do mujhko...



तेरी आँखों में हया क्यूँ है साकी...
तेरी जुल्फ हुई है घटा क्यूँ साकी...
मुझको हुस्न दिखा कि दिलजला हूँ मैं...
बस हर शब् तू पिला ,शौक पिला, शराब पिला साकी
_____________________________________
मै बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको...
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको
जी लेने दो मुझको दो पल इस मैखाने में...
मुझे जिंदा कर दो..जिला दो मुझको
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको.....

इस दौर के बाद फिर ज़िन्दगी बचे...
इश्क बच जाए मगर बंदगी बचे
बच जाए एक कतरा शराब का मैखाने में...
बस इतना सा भरोसा दिला दो मुझको
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको.....
मैं बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको

आज कि शाम नगमो को इस क़दर तरसे...
कि मेरे हर लफ्ज़ से बस बेखुदी बरसे
मेरे साकी से मेरी इतनी सी गुज़ारिस है बस...
कि राख़ कर में मुझे पैमाने में मिला दे मुझको
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको...
मैं बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको
मैं बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको


Beparwah

June 10, 2010

बहुत दिनों के बाद कुच्छ लिखने का मन हुआ है . ...
पता है?? एक अरसे के बाद एक पुराना कोई दोस्त मीला है। जो शायद मुझे भूल भी चूका था ,या उसे शायद मैं याद भी था ये पता नहीं।
उसके मिलने की ख़ुशी भी है बहुत और साथ ही साथ थोडा सा ग़म भी...ग़म ये की वो मिल के भी कभी न मिल सकेगा ..काहिर कोई बात नहीं। शायद यही ज़िन्दगी है...थोडा सा ग़म और थोड़ी सी ख़ुशी। इसीलिए तो हर इंसान जीता है। ...


_______________________________________________________________
कुछ लोग न जाने क्या कर देते हैं ...
बस एक नज़र देख के फ़ना कर देते हैं।
दिखा देते हैं ज़िन्दगी को नयी राहें...
और पुराने आसियाने तबाह कर देते हैं॥
___________________________________________________

April 6, 2010


तेरी महफ़िल में किसी नूर की कमी नहीं थी ...
मेरे खातिर बस वहां थोड़ी सी ज़मीं नहीं थी

देख सकता तेरे दिल में किसी गैर कि सूरत ...
मेरी आँखों में ऐसी रोशनी नहीं थी

कह पाया हो उनसे कोई बात आँखों-आँखों में...
ऐसी कोई बात मेरे दिल में रही नहीं थी

दबा रक्खा था बोझ कितना अपनी हसरतों का मैंने...
ये कहना की ख़त में ये बात लिक्खी नहीं थी

कैसी किस्मत है की लौट आया हूँ उस मोड़ से मैं...
सामने मंजिल थी..और कोई राह बची नहीं थी


Beparwah..

उनके हक में खुदा से एक दुआ हम करें..




दिल
जो आया किसी पे तो क्या हम करें...
उसके हक में खुदा से एक, दुआ हम करें॥

दिल जो आया किसी पे तो क्या हम करें...
उसके हक में खुदा से एक, दुआ हम करें

कैसे
कह दे मेहरबां से यूँ हाल-ऐ-दिल...
कैसे महबूब से अपने, इल्तिजां हम करें

दिल जो आया किसी पे तो क्या हम करें...
उसके हक में खुदा से एक, दुआ हम करें

आज कल है ज़माना बड़ा मतलबी....
कैसा
हो गर दोस्तों से कम ,मिला हम करें

दिल
जो आया किसी पे तो क्या हम करें...
उसके हक में खुदा से एक, दुआ हम करें

वो तो बेपरवा हैं, वो तो मगरूर हैं,पर वो हैं तो सनम...
उनकी आदत का कैसे..गिला हम करें

दिल जो आया किसी पे तो क्या हम करें...
उसके
हक में खुदा से एक दुआ हम करें

मयकशी
छोड़ दी , दिल्लगी छोड़ दी....
अब 'तड़प' से गुजारिश है, तड़पना कम करे

दिल
जो आया किसी पे तो क्या हम करें...
उसके
हक में खुदा से एक दुआ हम करें


Beparwah..