मुस्कुरा दो जरा अब तो
कि हसरत आज पूरी हो चली है
अपनों के करीब जा रहे हो
हम गैरों से दूरी हो चली है
कहे देते हैं हम न रोकेंगे तुम्हें
भले अश्कों को थाम लेंगे
न आज के बाद पुकारेंगे तुम्हें
न किसी नज़्म में तेरा नाम लेंगे
तुम्हें भी मंज़ूर यही है
वक़्त कि भी ये मंज़ूरी हो चली है
मुस्कुरा दो ज़रा अब तो
कि आज हसरत पूरी हो चली हे
हम तो न मिला पायेंगे अब नज़र आईने स कभी
पास तुम्हारे तो कोई नज़र होगी नज़र मिलाने को
तुम्हें तोहफे मिल गयी है ख़ुशी ज़माने की
मेरे पास तो वज़ह भी नहीं अश्क बहाने को
मेरी मंजिलें पूरी हो गयी हैं
राहें अधूरी हो चली हैं......
मुस्कुरा दो ज़रा अब तो
कि हसरत पूरी हो चली है......
Beparwah..
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