खुद बुलाकर फिर सताया है किसी ने
जब तक जलती है शमा, जलता रहा परवाना
क्या इस तरह साथ निभाया है किसीने
अरमान हमारे टूट कर बिखर से गए है
यूँ कल आंखोसे गिराया है किसी ने
आग लगी है दश्त में कोई क्या बुझायेगा
दिल इस तरह से आज जलाया है किसी ने
दिल रोता रहा रात भर याद कर के किसी को
इस तरह उल्फत में जख्म खाया है किसी ने
संगदिल जो था आज वो भी रो पड़ा
उसको भी तड़पाया है किसी ने................
Vijay Aggarwal 'Beparwah'
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