November 20, 2010

main bujh gaya hun ..koi jala do mujhko...



तेरी आँखों में हया क्यूँ है साकी...
तेरी जुल्फ हुई है घटा क्यूँ साकी...
मुझको हुस्न दिखा कि दिलजला हूँ मैं...
बस हर शब् तू पिला ,शौक पिला, शराब पिला साकी
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मै बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको...
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको
जी लेने दो मुझको दो पल इस मैखाने में...
मुझे जिंदा कर दो..जिला दो मुझको
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको.....

इस दौर के बाद फिर ज़िन्दगी बचे...
इश्क बच जाए मगर बंदगी बचे
बच जाए एक कतरा शराब का मैखाने में...
बस इतना सा भरोसा दिला दो मुझको
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको.....
मैं बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको

आज कि शाम नगमो को इस क़दर तरसे...
कि मेरे हर लफ्ज़ से बस बेखुदी बरसे
मेरे साकी से मेरी इतनी सी गुज़ारिस है बस...
कि राख़ कर में मुझे पैमाने में मिला दे मुझको
बस एक घूँट ही पिला दो मुझको...
मैं बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको
मैं बुझ गया हूँ कोई जला दो मुझको


Beparwah

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